मोहनदास करमचन्द गाँधी वाक्य
उच्चारण: [ mohendaas kermechend gaaanedhi ]
उदाहरण वाक्य
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- मोहनदास करमचन्द गाँधी उनके नेता थे।
- मोहनदास करमचन्द गाँधी का नाम लेना भी आज एक दुष्कर कार्य है।
- ' तुम मोहनदास करमचन्द गाँधी हो?' जिला अधिकारी ने औपचारिक रूप से पूछा।
- जब यह खबर मोहनदास करमचन्द गाँधी को मिली तो उन्होंने नेहरू को बुलाकर समझाया।
- जब यह खबर मोहनदास करमचन्द गाँधी को मिली तो उन्होंने नेहरू को बुलाकर समझाया।
- बाल्यकाल में महात्मा गाँधी का नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी रखा गया तथा माता-पिता प्यार से उन्हें मोहन कहकर बुलाते थे।
- कवि तुलसीदास और अखिलविश्व गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य श्रीराम शर्मा से लेकर मोहनदास करमचन्द गाँधी और जवाहरलाल नेहरू तक सब “
- बस एक बार बैंक से संबन्धित काम में जहाँ अपरिहार्य स्थिति थी वहीं दस्तखत में महात्मा लिखा वरना वे मोहनदास करमचन्द गाँधी ही लिखते थे।
- “किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है”-मोहनदास करमचन्द गाँधी
- बात यह कि इस देश में मोहनदास करमचन्द गाँधी नाम का, दो पसलियों का एक आदमी हुआ था जिसे दुनिया ने ‘ महात्मा ' माना और देश ने ‘ राष्ट्रपिता।
- 1915 तक अंग्रेजों का विरोध बहुत बढ़ चुका था, इन्ही दिनों राष्ट्रवादियों का आन्दोलन तोड़ने के लिए अंग्रेजों का कुटिल समर्थक गन्धासुर (मोहनदास करमचन्द गाँधी) 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत बुलाया गया।
- राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित, बेलगाम काँग्रेस अधिवेशन (1924) के अध्यक्ष रहे गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी के अहिंसा के विश्वव्यापी दर्शन को राजनीति की प्रयोगशाला में ले जाने वाले मोहनदास करमचन्द गाँधी का जन्म पोरबंदर गुजरात में हुआ।
- वही लाहौर आ रहा है, जिसके बारे में मोहनदास करमचन्द गाँधी ने सलाह दी थी कि अगर यह शहर मरता है तो इसके साथ तुम लोग भी मर जाओ, लेकिन अपने बाप-दादा की जमीन छोड़कर मत जाओ।
- राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित, बेलगाम काँग्रेस अधिवेशन (1924) के अध्यक्ष रहे गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी के अहिंसा के विश्वव्यापी दर्शन को राजनीति की प्रयोगशाला में ले जाने वाले मोहनदास करमचन्द गाँधी का जन्म पोरबंदर गुजरात में हुआ।
- मोहनदास करमचन्द गाँधी अपनी घड़ी अपनी कमर में कसकर उनके लिए लड़ते थे जिनके पास घड़ी नहीं थी और जब मारे गये वे उनकी घड़ी बिगाड़ दी उनके चेलों-चपाटों ने कहना कठिन है अब उनकी घड़ी कहाँ है और कौन-कौन पुर्ज़े ठीक हैं उसके
- मोहनदास करमचन्द गाँधी अपनी घड़ी अपनी कमर में कसकर उनके लिए लड़ते थे जिनके पास घड़ी नहीं थी और जब मारे गये वे उनकी घड़ी बिगाड़ दी उनके चेलों-चपाटों ने कहना कठिन है अब उनकी घड़ी कहाँ है और कौन-कौन पुर्ज़े ठीक हैं उसके
- नेहरू को पता चला तो वे बहुत लाल-पीले हुए, लेकिन अब क्या किया जा सकता था...जब यह खबर मोहनदास करमचन्द गाँधी को मिली तो उन्होंने ताबडतोड नेहरू को बुलाकर समझाया, राजनैतिक छवि की खातिर फ़िरोज को मनाया कि वह अपना नाम गाँधी रख ले..
- उनके पिता श्री अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे Wed, 13 Feb 2008 07:14:07 GMT http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/kidsworld/prompterpersonality/0802/13/1080213033_1.htm राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/kidsworld/prompterpersonality/0801/30/1080130002_1.htm राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित, बेलगाम काँग्रेस अधिवेशन (1924) के अध्यक्ष रहे गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी के अहिंसा के विश्वव्यापी दर्शन को राजनीति की प्रयोगशाला में ले जाने वाले मोहनदास करमचन्द गाँधी का जन्म पोरबंदर गुजरात में हुआ।
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